लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं
तेरी खुशी जिसके लबों की हंसी हो तेरा गम जिसके आंखों से आसूं बन कर झलके, तेरी खुशी जिसके लबों की हंसी हो तेरा गम जिसके आंखों से आसूं बन कर झलके,
स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली। स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली।
तस्वीरें बदल जाती हैं। तस्वीरें बदल जाती हैं।
दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिलाते हैं । दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिल...
खुद को निहारूँ मंत्रमुग्ध-सी खुद पर ही रीझूं बार-बार जब दर्पण में नज़र आते हो तुम खुद से शर्माऊं शर्... खुद को निहारूँ मंत्रमुग्ध-सी खुद पर ही रीझूं बार-बार जब दर्पण में नज़र आते हो तु...